भारत की आजादी को लेकर छुपाई गई थी हमलोगों से ये बातें, इतिहासकारो ने उस आजादी को नही दिया था मान्यता लेकिन मोदी सरकार...
आपको बता दें कि भारत 15 अगस्त 1947 से पहले 30 दिसम्बर 1943 को आजाद हुआ था। इसको लेकर अंडमान निकोबार में पहली बार तिरंगा झंडा फहराया गया था। यह तिरंगा झंडा आजाद हिन्द फौज के द्वारा फहराया गया था। जिसके नेता थे "नेताजी सुभाषचंद्र बोस" उन्होंने ब्रिटेन और अमेरिका के खिलाफ युद्ध किया था। लेकिन इनके पास हवाई हथियार नही होने की बजह से ये युद्ध मे आगे नही बढ़ पा रहे थे। ब्रिटेन और अमेरिका द्वारा हवाई हमला किया जा रहा था इसलिए जंगलों में छुपकर नेताजी युद्ध लड़ा करते थे। बताया यह जाता है कि 18 अगस्त 1945 को ताइवान में हुए हवाई दुर्घटना में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मृत्यु हो गई थी। लेकिन ब्रिटेन की सरकार नेताजी को बदला लेने के लिए ढूंढ रहा था क्योंकि उन्होंने उसके करीब तीन हजार सैनिकों को मार दिया था। नेताजी सुभाषचंद्र बोस गर्म दल के नेता थे। वो युद्ध का जबाब युद्ध से देना जानते थे, शायद इसलिए इतिहासकारों ने उन्हें इतिहास के पन्नों में दवाकर रखा है।
लेकिन पिछले साल से ही मोदी सरकार अब उन बीर शहीदों की जयंती मना रहा है। जिन्होंने भारत की आजादी में अपना बलिदान दिया था, लेकिन फिर भी उन्हें इतिहास के पन्नों में कहीं दवा दिया गया था। नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मृत्यु आज भी एक रहस्य बना हुआ है। क्योंकि उनकी मृत्यु का कोई खास प्रमाण नही मिला है। सिर्फ अंदाजा लगाया जा रहा है।